एक गरीब लड़के की कहानी

 कहानी है रमेश की, एक छोटे से गाँव में रहने वाले गरीब किसान के बेटे की। बचपन से ही उसने गरीबी में जीवन बिताया, परिवार का पेट पालने के लिए खेतों में काम करना पड़ा। लेकिन उसकी आँखों में एक सपना था - पढ़ाई करने का, अपनी मेहनत से जीवन बदलने का।


रमेश का स्कूल गाँव में ही था, जहाँ वह आधे-अधूरे साधनों के बीच पढ़ाई करता था। उसके पास किताबें खरीदने के पैसे नहीं थे, तो पुराने किताबों से काम चलाता। दिन में खेतों में काम करता और रात में छोटी सी लालटेन के उजाले में पढ़ाई करता। उसकी माँ उसे पढ़ते देख कहती, "बेटा, ये सब अमीरों के सपने हैं, हमारे जैसे लोगों को मेहनत ही करनी पड़ती है।" लेकिन रमेश के दिल में कुछ और ही ठाना था।


गाँव में बिजली नहीं थी, और इंटरनेट तो बहुत दूर की बात थी, लेकिन रमेश ने हार नहीं मानी। उसने अखबारों से जानकारी इकट्ठी की, रेडियो से देश-दुनिया की खबरें सुनीं, और अपनी पढ़ाई जारी रखी। उसकी मेहनत रंग लाई। गाँव के सरकारी स्कूल में उसने दसवीं में टॉप किया, और गाँव के लोग उसे सराहने लगे।


रमेश ने शहर जाने का फैसला किया ताकि आगे की पढ़ाई कर सके। शहर में भी उसके पास बहुत मुश्किलें थीं - खाने-रहने के ठिकाने नहीं थे। उसने एक ढाबे में बर्तन धोने का काम किया और उसी से अपनी पढ़ाई का खर्च निकाला। लोग उसे ताने देते, कहते कि एक गरीब लड़के के लिए ये सपने देखना बेकार है। लेकिन रमेश ने किसी की नहीं सुनी।


सालों की मेहनत और तपस्या के बाद रमेश ने एक बड़ी परीक्षा पास की और सरकारी नौकरी हासिल की। अब वह अपने परिवार को आर्थिक सहारा देने लायक बन गया था। उसका सपना केवल उसके जीवन को नहीं, बल्कि उसके परिवार और गाँव के लोगों को भी प्रेरणा दे गया।


आज रमेश एक सफल व्यक्ति है, जिसने गरीबी से निकलकर अपनी मेहनत और संकल्प से अपनी पहचान बनाई। उसका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर सपने सच्चे दिल से देखे जाएँ और मेहनत की जाए तो कोई भी स्थिति आपको रोक नहीं सकती।













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